Samajik Kranti Ke Agradut Jyotirao Phule
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Description
Samajik Kranti Ke Agradut Jyotirao Phule
ज्ञानी और सामाजिक क्रांतिकारी – ज्योतिराव फुले
ज्योतिराव फुले, जिन्हें सामाजिक क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है, एक प्रख्यात महाराष्ट्रीय समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उनकी मुख्य प्रेरणा थी समाज में विषमता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने की।
समाज के अधिकारों की लड़ाई
ज्योतिराव फुले ने अपने जीवन के दौरान अनेकों सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाई। उन्होंने विधवा विवाह, बाल विवाह, और जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा को प्रमुखता दी और उनके लिए शिक्षा संस्थान स्थापित किए। उन्होंने अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा की।
ज्ञान का प्रचारक
ज्योतिराव फुले ने शिक्षा को आवश्यकता समझा और उसे सभी वर्गों तक पहुंचाने का प्रयास किया। उन्होंने विद्यालयों की स्थापना की और शिक्षा के लिए नियमित व्यवस्था को प्रोत्साहित किया। उनकी रचनाएँ, जैसे कि “गुलामगिरी” और “शेतकरी वीर शंकरराव जोशी” आदि, ने समाज में जागरूकता पैदा की।
ज्योतिराव फुले: समाजिक क्रांति के आग्रदूत
ज्योतिराव फुले एक महान समाज सुधारक और महान कार्यकर्ता थे जिन्होंने भारतीय समाज में एक आदर्श बदलाव की शुरुआत की। उन्होंने समाज में जाति, लिंग और धर्म के आधार पर भेदभाव का खंडन किया और सभी लोगों को समानता और न्याय की आवश्यकता को समझाया।
ज्योतिराव फुले ने अपने जीवन के दौरान बहुत सारे सामाजिक सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने एक शिक्षा संस्थान स्थापित किया जिसका नाम ‘हिंदू व्यांगपीठ’ था। इस संस्थान के माध्यम से उन्होंने अनुसंधान किया, शिक्षा प्रदान की और महिलाओं को शिक्षित किया। उन्होंने विधवाओं, दलितों और अनुसूचित जाति के लोगों के लिए भी शिक्षा सुविधाएं प्रदान की।
ज्योतिराव फुले के द्वारा शुरू की गई समाज सुधारों में से एक थी संघर्ष विरोधी एवं धर्म निरपेक्ष आंदोलन। उन्होंने अपने आंदोलन के माध्यम से जाति व्यवस्था, सती प्रथा, बाल विवाह और अन्य सामाजिक अन्यायों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने लोगों को जागरूक किया और उन्हें स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
ज्योतिराव फुले ने समाज में जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव का खंडन किया और सभी लोगों को समानता और न्याय की आवश्यकता को समझाया। उनका योगदान आज भी महत्वपूर्ण है और उन्हें समाजिक क्रांति के आग्रदूत के रूप में याद किया जाता है।
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