Bharat Ka Samvidhan
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Description
भारत का संविधान
Bharat Ka Samvidhan भारत का संविधान देश की सर्वोच्च कानूनी प्राधिकारिक दस्तावेज है। संविधान भारतीय गणराज्य की संविधानिक संरचना, सरकारी नीतियों, अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
संविधान की विशेषताएँ
भारतीय संविधान की विशेषताएँ इसे एक लोकतांत्रिक और सामान्य न्यायप्रधान देश बनाती हैं। संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकार, संघीयता, न्यायपालिका, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विधानसभा, राज्यसभा, गणतंत्र, धार्मिक स्वतंत्रता, संघीय विभाजन, विधान, भाषा, संघीय नीति, धर्मनिरपेक्षता, महिला सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम, पर्यावरण, वाणिज्यिक नीति, नागरिकता, राज्यों के अधिकार, नगरीय स्वशासन, नकदी की आपूर्ति, राजकोषीय व्यवस्था आदि पर विवरण दिया गया है।
संविधान का महत्व
भारतीय संविधान देश के नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता और सामान्य अधिकारों की सुरक्षा देता है। यह एक संविधानिक न्यायप्रधान देश होने के साथ-साथ एक लोकतांत्रिक और सामान्य न्यायप्रधान देश की भूमिका भी निभाता है। संविधान के माध्यम से नागरिकों को अपने अधिकारों की जानकारी मिलती है और वे अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए लड़ सकते हैं। संविधान ने भारतीय समाज को समानता, न्याय और स्वतंत्रता की मूलभूत आदर्शों के आधार पर विकसित किया है।
भारतीय संविधान
- स्वीकृत: 26 नवंबर 1949
- लागू: 26 जनवरी 1950 (गणतंत्र दिवस)
- लंबाई: दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ, 5 परिशिष्ट और 100+ संशोधन शामिल हैं।
- निर्माण समिति: संविधान सभा, जिसकी अध्यक्षता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने की।
मुख्य विशेषताएँ
- प्रस्तावना (Preamble)
- भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है।
- न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को बढ़ावा देता है।
- मूल अधिकार (Part III)
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) – डॉ. अंबेडकर ने इसे संविधान का “दिल और आत्मा” कहा।
- मूल कर्तव्य (Part IV-A)
- 42वां संशोधन (1976) द्वारा जोड़े गए।
- नागरिकों से अपेक्षा है कि वे राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करें, पर्यावरण की रक्षा करें और सौहार्द बनाए रखें।
- राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy)
- सरकार के लिए गैर-न्यायिक दिशानिर्देश, जो समाज कल्याण और समानता को बढ़ावा देते हैं।
- शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, और लिंग समानता जैसे लक्ष्यों को शामिल करते हैं।
- संघीय ढाँचा (Federal Structure) और केंद्र की प्रधानता
- शक्ति का विभाजन: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के माध्यम से केंद्र और राज्यों में।
- आपातकाल के दौरान केंद्र को अतिरिक्त अधिकार मिलते हैं।
- स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary)
- सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय न्यायिक समीक्षा के माध्यम से संविधान की रक्षा करते हैं।
- जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से नागरिक सीधे अदालत से संपर्क कर सकते हैं।
- संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
- लचीला और कठोर दोनों: कुछ भाग साधारण बहुमत से बदले जा सकते हैं, जबकि कुछ विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति से।
- संसदीय लोकतंत्र (Parliamentary Democracy)
- कार्यपालिका: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद।
- विधायिका: द्विसदनीय – लोकसभा (निचला सदन) और राज्यसभा (उपरी सदन)।
- राष्ट्रपति: संवैधानिक प्रमुख, जिनके पास विशेष आपातकालीन शक्तियाँ हैं।
- आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions)
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352): युद्ध, बाहरी आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह।
- राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356): राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता।
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360): आर्थिक स्थिरता पर संकट।
- वंचित वर्गों के लिए विशेष प्रावधान
- आरक्षण: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए शिक्षा, रोजगार और विधायिकाओं में आरक्षण।
- सामाजिक न्याय और समान अवसर को बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक सुरक्षा।
प्रमुख संशोधन (Landmark Amendments)
- 42वां संशोधन (1976): इसे “मिनी संविधान” भी कहा जाता है; इसने प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्द जोड़े।
- 44वां संशोधन (1978): आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए।
- 73वां और 74वां संशोधन (1992): पंचायती राज और नगर पालिकाओं को सशक्त बनाया।
- 103वां संशोधन (2019): आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण लागू किया।
संवैधानिक मूल्यों और प्रभाव
- प्रभाव: ब्रिटिश, अमेरिकी, आयरिश, और फ्रांसीसी संविधान (जैसे संसदीय लोकतंत्र, मौलिक अधिकार, नीति निदेशक तत्व) से प्रेरणा ली गई।
- धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देकर सभी धर्मों को समान रूप से मान्यता देता है।
- सामाजिक न्याय को बढ़ावा देकर विभिन्न वर्गों के बीच असमानता को कम करने का प्रयास करता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का विस्तृत विवरण
भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ, और 105 से अधिक संशोधन हैं। यह संविधान 26 भागों (Parts) में विभाजित है, और हर भाग में कई महत्वपूर्ण अनुच्छेद (Articles) शामिल हैं, जो भारत की शासन व्यवस्था, नागरिक अधिकार, न्यायिक व्यवस्था, और आपातकालीन प्रावधानों को निर्धारित करते हैं। नीचे प्रमुख भागों और उनके अनुच्छेदों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
भाग I: संघ और उसका क्षेत्र (Union and its Territory)
अनुच्छेद 1-4
- अनुच्छेद 1: भारत को एक संघ के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का समावेश होता है।
- अनुच्छेद 2: संसद नए राज्यों को संघ में शामिल कर सकती है।
- अनुच्छेद 3: संसद राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन या विभाजन कर सकती है।
भाग II: नागरिकता (Citizenship)
अनुच्छेद 5-11
- अनुच्छेद 5: भारत में संविधान लागू होने के समय नागरिकता के अधिकार पर प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 6-7: भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए लोगों की नागरिकता का निर्धारण।
- अनुच्छेद 11: संसद नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का अधिकार रखती है।
भाग III: मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
अनुच्छेद 12-35
- अनुच्छेद 14: सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार।
- अनुच्छेद 15: धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध।
- अनुच्छेद 16: सरकारी नौकरियों में समान अवसर का अधिकार।
- अनुच्छेद 19: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आंदोलन का अधिकार, संगठन बनाने का अधिकार।
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
- अनुच्छेद 25-28: धर्म की स्वतंत्रता और किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 32: मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार।
भाग IV: राज्य के नीति-निर्देशक तत्व (Directive Principles of State Policy)
अनुच्छेद 36-51
- अनुच्छेद 38: राज्य को समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का निर्देश।
- अनुच्छेद 39: संपत्ति और संसाधनों का उचित वितरण सुनिश्चित करना।
- अनुच्छेद 44: राज्य को सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की सलाह।
- अनुच्छेद 45: 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा।
भाग IV-A: मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
अनुच्छेद 51-A
- यह भाग 42वें संशोधन (1976) द्वारा जोड़ा गया।
- इसमें 11 कर्तव्यों का उल्लेख है, जैसे पर्यावरण की रक्षा, संविधान का सम्मान, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
भाग V: संघ की सरकार (Union Government)
अनुच्छेद 52-151
- अनुच्छेद 52: भारत का राष्ट्रपति संघ का प्रमुख होगा।
- अनुच्छेद 61: राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 74: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को सलाह देंगे।
- अनुच्छेद 123: राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 143: राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने का अधिकार।
भाग VI: राज्यों की सरकार (State Government)
अनुच्छेद 152-237
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा।
- अनुच्छेद 161: राज्यपाल को क्षमादान का अधिकार।
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह से काम करना होगा।
- अनुच्छेद 213: राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने का अधिकार।
भाग IX: पंचायतें (Panchayats)
अनुच्छेद 243-243O
- अनुच्छेद 243: पंचायतों का गठन और शक्तियाँ।
- अनुच्छेद 243D: पंचायतों में महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण।
भाग IX-A: नगरपालिकाएँ (Municipalities)
अनुच्छेद 243P-243ZG
- अनुच्छेद 243W: नगरपालिकाओं के अधिकार और कर्तव्य।
- अनुच्छेद 243T: नगरपालिका चुनावों में आरक्षण।
भाग X: अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र (Scheduled and Tribal Areas)
अनुच्छेद 244-244A
- अनुच्छेद 244: आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 244A: स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद का गठन।
भाग XI: संघ और राज्यों के बीच संबंध (Relations between Union and States)
अनुच्छेद 245-263
- अनुच्छेद 245: संसद और राज्य विधानसभाओं के विधायी अधिकार।
- अनुच्छेद 256: केंद्र द्वारा राज्यों को निर्देश देने का अधिकार।
- अनुच्छेद 262: अंतर्देशीय जल विवादों का निपटारा।
भाग XII: वित्त और संपत्ति (Finance and Property)
अनुच्छेद 264-300A
- अनुच्छेद 266: भारत की संचित निधि (Consolidated Fund) का प्रावधान।
- अनुच्छेद 280: वित्त आयोग की स्थापना।
- अनुच्छेद 300A: किसी भी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रावधान के उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
भाग XIII: व्यापार और वाणिज्य (Trade and Commerce)
अनुच्छेद 301-307
- अनुच्छेद 301: भारत के भीतर व्यापार की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 304: राज्यों को कर लगाने का अधिकार।
भाग XIV: सेवाएँ (Services)
अनुच्छेद 308-323
- अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) का गठन।
- अनुच्छेद 315: लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) की स्थापना।
भाग XVIII: आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions)
अनुच्छेद 352-360
- अनुच्छेद 352: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह)।
- अनुच्छेद 356: राष्ट्रपति शासन, यदि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो।
- अनुच्छेद 360: वित्तीय आपातकाल।
भाग XX: संविधान संशोधन (Amendment of the Constitution)
अनुच्छेद 368
- संसद को संविधान संशोधन का अधिकार।
- कुछ संशोधन विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति से किए जाते हैं।
भाग XXI: अस्थायी और विशेष प्रावधान (Temporary and Special Provisions)
अनुच्छेद 369-392
- अनुच्छेद 370: जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता (अब हटाई गई)।
- अनुच्छेद 371: कुछ राज्यों को विशेष प्रावधान।
भाग XXII: प्रारंभिक प्रावधान (Commencement and Short Title)
अनुच्छेद 393-395
- अनुच्छेद 394: संविधान के लागू होने की तिथि।
- अनुच्छेद 395: भारत सरकार अधिनियम, 1935 और अन्य पूर्व कानूनों का उन्मूलन।
Sumit –
World’s Best and Biggest Constitution, Must Read Book.
Ravi –
It’s knowledgeable
Ramesh –
Good